पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब, नम आंखों से लोगों ने दी विदाई

National Samachar : आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का रविवार को दिल्ली ऐम्स में निधन हो गया. सोमवार को उनके पार्थिव शरीर को अंतिम यात्रा के लिए बिहार के वैशाली लाया गया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता और जिला वासी मौजूद रहे और उन्हें अंतिम विदाई दी. दरअसल, वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह का बेहद गहरा रिश्ता रहा है. वैशाली लोकतंत्र की जान मानी जाती है. गणतंत्र की प्रथम भूमि वैशाली भगवान बुद्ध की कर्मभूमि के रूप में भी जानी जाती है. 1973 से अपनी राजनीति की शुरुआत करने के बाद के दिनों में 1996 से रघुवंश प्रसाद सिंह ने वैशाली से लोकसभा का चुनाव जीता, जिसके बाद वे लगातार यहां से जुड़े रहे. वैशाली के ऐतिहासिक और पौराणिक दर्जे की लड़ाई रघुवंश प्रसाद सिंह लगातार लड़ते रहे. यह उनके लंबे संघर्ष का ही फल है कि वैशाली में 72 एकड़ में 432 करोड़ की लागत से बुद्ध स्मृति स्तूप का निर्माण कराया जा रहा है. दरअसल, अपने अंतिम समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को रघुवंश प्रसाद सिंह ने चार पत्र लिखें जिसमें वैशाली के मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री से उन्होंने कुछ मांग की. उन मांगों में अफगानिस्तान से भगवान बुद्ध का भिक्षापात्र वापस लाकर वैशाली में स्थापित करना, अविभाजित बिहार में जिस तरह परम्परा थी कि 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और राजयपाल रांची में और 26 जनवरी को मुख्यमंत्री रांची में और राजयपाल पटना में तिरंगा फहराते थे, उसी तर्ज पर वैशाली को स्थान दिए जाने की मांग शामिल है. रघुवंश प्रसाद सिंह का तर्क था कि वैशाली विश्व का प्रथम गणतंत्र है और इसे सही मायनों में इसका सम्मान तभी मिल पाएगा, जब वैशाली को उसको पूरा गौरव फिर से प्रदान किया जाए. लेकिन मुख्यमंत्री और राजयपाल द्वारा इन राष्ट्रीय पर्वों पर वैशाली को याद किए बिना यह संभव नहीं होगा.रघुवंश बाबू ने अपने अंतिम समय में जो पत्र लिखा उसमें एक पत्र आरजेडी के भी नाम लिखा, जिसमें उन्होंने राजनीति में धनबल, परिवारवाद और जातिवाद के हावी होने पर दुःख जताया. उन्होंने अपने अंतिम पत्रों में जिक्र किया है कि पार्टी और संगठन को मजबूत करने के लिए उन्होंने लगातार आवाज उठाई. लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज किया गया. उनकी बातो को ताख पर रख दिया गया.
रिपोर्ट : राहुल सिंह

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