National Samachar : बिहार महामारी के बीच में विधानसभा चुनाव देखने वाले पहले राज्य के रूप में रिकॉर्ड बुक में जगह बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. चुनाव में मतदाताओं की ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने और उम्मीदवारों और मतदाताओं के बीच संतुलन बनाने के काम के साथ सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया और सुझावों के आधार पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं. चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों में से कुछ अगर बिहार विधानसभा के चुनाव प्रचार के अंतिम क्या करें और क्या न करें का हिस्सा बन जाते हैं, तो चुनावों के दौरान होने वाली मेगा रैलियों की महान भारतीय परंपरा को लोग बस याद ही करते रह जाएंगे. इसके अलावा मतदान केंद्रों पर लंबी घुमावदार कतारों के दिलकश नजारे भी शायद ही देखने को मिलें. बता दें कि इससे पहले 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव हुआ था. उसमें 7.18 करोड़ मतदाता थे और लगभग 57% ने मतदान किया था. राजनीतिक रूप से काफी जागरुक राज्य में बड़ी मात्रा में वोटों को देखते हुए चुनाव आयोग चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के तरीके के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी कर रहा है. आयोग ने राजनीतिक दलों से 31 जुलाई तक अपने सुझाव और टिप्पणियां देने को कहा है, जो बिहार चुनावों में प्रचार और मतदान के लिए प्रमुख आदेश/दिशा-निर्देश हो सकते हैं. चुनाव प्रचार के लिए चुनाव आयोग के सुझाव दिए हैं ये सुझाव हैं
- चुनाव प्रचार करते समय या बड़ी जन सभा में शामिल होने पर मास्क पहनना होगा अनिवार्य.
- हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखनी होगी.
- धार्मिक स्थान सहित बड़े सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा रहेगा.
- भीड़ इकट्ठा होने वाली जगहों पर थर्मल स्कैनिंग और सैनिटाइजेशन होगा अनिवार्य.
- सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए बूथ के बाहर मार्किंग की जाएगी.
बिहार चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की संख्या तय करने, पीपीई किट के साथ चुनाव अधिकारी प्रदान करने, बटन दबाने के लिए टूथ पिक/ग्लव्स का उपयोग करने और मतदाताओं के लिए बूथ के बाहर मार्किंग आदि पर विचार कर रहा है.
बिहार चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने वाला है. चुनाव आयोग के पास शेड्यूल को अंतिम रूप देने और घोषणा करने के लिए अभी भी कुछ समय है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि बिहार में कोविड- 19 के प्रसार को ध्यान में रखते हुए बिहार चुनाव के बारे में अंतिम निर्णय लिया जाएगा. हालांकि राज्य में राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के बीच इस बात को लेकर शब्द युद्ध शुरू हो गया है कि चुनाव कब करवाए जाने चाहिए. कई लोग समय पर चुनाव के पक्ष में हैं तो कुछ चाहते हैं कि कोरोना वायरस के कारण चुनाव स्थगित कर दिया जाए.
रिपोर्ट : राहुल सिंह