नई दिल्ली: नागर विमानन मंत्रालय ने गुरुवार को इस बारे में विस्तृत नियम जारी किए हैं. सरकार का दावा है कि नए नियमों को मार्च में जारी नियमों से काफी उदार बनाया गया है.
मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, नए नियमों को ”उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021” का नाम दिया गया है.
सरकार को उम्मीद है कि इससे 2030 तक भारत के ”वैश्विक ड्रोन हब” बनकर उभरने में मदद मिलेगी.
पुराने नियम पांच महीने में ही रद्द हो गए
इससे पहले, मार्च 2021 में नए नियम जारी किए थे. उन नियमों को ”मानवरहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021” कहा गया था.
हालांकि उन्हें काफी कठोर और ‘प्रतिबंधात्मक’ माना जा रहा था. लोगों की नकारात्मक राय के बाद, महज पांच महीने में उन नियमों को रद्द करने का फ़ैसला लिया है.
सरकार का दावा है कि नए नियमों से अर्थव्यवस्था के क़रीब सभी क्षेत्रों जैसे कृषि, खनन, बुनियादी ढांचे, परिवहन, रक्षा, निगरानी, पुलिस कार्य, आपातकालीन सेवा, मैपिंग आदि को बहुत लाभ मिलेगा.
उसका मानना है कि अपनी पहुंच, कई कामों में इस्तेमाल होने, और उपयोग में आसानी के चलते अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा हो सकता है. इससे भारत के पिछड़े और दुर्गम इलाकों को सबसे ज्यादा लाभ मिलने की संभावना जताई गई है.
नए ड्रोन नियमों की प्रमुख विशेषताएं
- अब माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग वाले) और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी.
- ड्रोन के आयात के लिए अब नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी. इसकी बजाय इसका आयात विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी डीजीएफटी के जरिए नियंत्रित किया जाएगा.
- नए नियम में साफ किया है कि अब ग्रीन ज़ोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी. साथ ही अब फॉर्म की संख्या घटाकर 25 से केवल 5 कर दी गई है. वहीं ड्रोन पर लगने वाले शुल्क को 72 की बजाय अब केवल 4 कर दिया गया है.
- अब येलो ज़ोन का दायरा एयरपोर्ट की 45 किलोमीटर की परिधि की बजाय केवल 12 किलोमीटर तक ही होगा. जबकि ड्रोन का वजन सीमा को 3 क्विंटल से बढ़ाकर 5 क्विंटल कर दिया गया है.